शनिवार, 8 जनवरी 2011

प्रथम पुरूष

भारतीयता का अमेरिकीकरण
हमने पांच बातें अमरीका से सीखी हैं और उन्होंने पांच बातें हमसे ली हैं. हमने जो पांच बाते अमरीका से सीखी हैं वे हैं:-
१. अंग्रेजी बोलने में जिसे कोई न समझ पाये (टवॉग) वर्तमान में हम सभी अमरीका के लिये काम कर रहे हैं वैक्तिक संस्थाओं में मीडिया में सॉफ्टवेयर में, आउट सोर्सिंग में किसी भी मल्टीनेशनल कार्यालय में जायें आपको महसूस होगा कि सभी जो कुछ बोल रहे हैं वह समझ में नहीं आता अमरीका में बैठा हुआ भी नहीं जानता कि उससे क्या कहा जा रहा है या वह क्या कह रहा है.
२. माल की संस्कृति मन्दिर$ोंंं का स्थान पर माल ले रहे हैं. युवा पीढ़ी में इन स्थानों पर लोग इक_ा हो रहे हैं. एक बात जरूरी हुई है कि इनमें ध्यान रखा जा रहा है कि उस क्षेत्र या समाज के लोग क्या खाना चाहते हैं क्या खरीदना चाहते हैं माल छोटे शहरों में पनप रहे हैं मीडिया भी उनका प्रचार कर रहा है.
३. अमरीका का जंक और भारत का स्वादिष्ट खानों का मिलन हो रहा है. अमरीका की तरह खाद्य पदार्थ बहुत बड़े स्तर पर नहीं बनाया जाता है. सुअर और गाय का मांस नहीं परोसा जाता और देश के लोगों के स्वाद का ध्यान रखा जाता है. मैकडोनल्ड के १६० रेस्टोरेंट खुल गये हैं. डोमिनो के  भी पैकिजो के स्थान पर  प्लेटों पर खाना मिलता है. सभी प्रकार  का चीनी, भारतीय (उत्तर दक्षिण का) और अमरीका का पि$जा.
४. भारत का सिनेमा अमरीका के सिनेमा का रूप ले रहा है. हमारी फिल्में भारतीय कम अमरीकन अधिक लगती हैं. कलाकारों के कपड़े तक. क्योंकि उनके बनाने में बड़ी-बड़ी कम्पनियों का धन लग रहा है जो देश को अपनी चीजें बेचना चाहते हैं. फिल्में बड़ा माध्यम हैं. कलाकार भी अब अमरीका की फिल्मों के कलाकारों की तरह ही ऐक्टिंग कर रहे हैं. कहानियां भी वैसी ही हो रही हैं. संगीत भी मिला-जुला हो गया है. टी शर्टस का बोल-बाला हो गया, धोती गायब हो गयी है.
५. शिक्षा में युवा पीढ़ी अमरीका भाग रही है. गत वर्ष १०३२६० वहां गये सबसे अधिक १५ प्रतिशत चीन से केवल ९८५१०,   ३० प्रतिशत स्नातक से नीचे की शिक्षा के लिये आर्थिक स्थिति या रोजगार (नौकरी) की कमी से भी कोई फर्क नहीं पड़ता. अमरीका से केवल ३१४६ पढऩे आये हालांकि संख्या बढ़ रही है.
अमरीका ने निम्न पांच बाते हमसे ग्रहण की हैं:-
१. महात्मा गांधी के अहिंसा का मंत्र जेट हवाई जहाजों के गर्जना एटम बोम्ब के विस्फोट, कीटाणु युद्ध एवं आतंकवाद को समाप्त करने का यही उपाय 'मंत्रÓ है. शक्ति प्रयोग असफल हो रही है. मन बदलना, सोच बदलना होगा तभी हथियार  बम्ब डालने के लिये हाथ रुकेंगे. विश्व में २७००० एटम बोम्ब हैं जो आतंकवादी चुरा सकते हैं. प्राप्त कर सकते हैं. मार्टिन लूथर किंग और अब ओबामा इस मंत्र को अपनाने को कह रहे हैं. पर्ल एसबक ने अपनी पुस्तकों में इस मंत्र का जिक्र बार-बार किया. समाज की, व्यवस्था की और शासन (राज्यों) की क्रूरता को इस मंत्र से हटाया जा सकता है. शक्ति प्रयोग से तो एक क्रूरता का स्थान दूसरी क्रूरता ले लेती है. इल स्टेनली जोन्स रिचर्ड ग्रिग्स की किताबे अमरीका में मानव अधिकारों को प्राप्त करने का हिस्सा बन गयी. कौन पढ़ाता है कौन सीखता है एक मूक प्रश्न है. पृथ्वी पर जीवित रहने के नियमों पर महात्मा गांधी ने कहा. अंटारटिका में जब जमा हुआ पानी अर्थात पाला या हिम पिघलता है तो तापमान गिरता है जीवन दान देता है. प्रकृति के नियमों का पालन करने को उन्होंने कहा अन्यथा पानी का अकाल होगा. बाढ़ आयेगी (समुद्र में) आबादी का पलायन होगा, बीमारियां फैलेंगी. पर्यावरण की सुरक्षा का मंत्र दिया. पृथ्वी से प्राप्त होने वाले सभी तत्वों का संतुलित प्रयोग करना होगा यही जीवित रहने का नियम है.
२. दलाई लामा का बढ़ता प्रभाव वे अभी तक ४१ बार अमरीका गये उनकी लोकप्रियता ओबामा के बराबर है. उनको सुनने २०००० व्यक्ति इक_ा होते हैं. दलाई लामा कहते हैं कि वे भारत के बेटे हैं वे महात्मा गांधी की सोच को आगे बढ़ा रहे हैं.
३. योग एवं हिन्दुत्व की सोच का प्रसार हो रहा है. हेनरी डेविड योरियायू ने कहा वह योगी हैं. राल्फ बाल्डो इमरासन ने ब्रह्मा पर कविता लिखी. स्वामी विवेकानन्द द्वारा शुरू किया गया योग अब अमरीका में जड़े जमा चुका है. योग के गुरु अपार धन कमा रहे हैं. योगा पैन्ट ४३६० रुपये में बिक रही है. सैकड़ो लोग एक दूसरे का हाथ पकड़कर 'ओमÓ का उच्चारण करते हैं. योग का अर्थ ही है जुडऩा गुरु कहते हैं. अमरीकन तो योग को अपना ही कहने लगे हैं.
४. भारत के विद्वान व्यक्ति अमरीका के हर क्षेत्र में जगह बना रहे हैं. हरगोविन्द खुराना, एस चन्द्रशेखर, वेकटरमन रामाकृष्णनन, वीनादास, गायत्री चक्रवर्ती, स्पविक, अमरव्य सेन, प्रनब वर्धन, कौशिक बासु, ए.के. रामानुजम, सीएम नमीम, विक्रम चन्द्रा, मनी, सूरी, प्रार्थी चटर्जी, ज्ञान पाण्डे, ज्ञान प्रकाश अमरीका के उच्चतम विद्वानों (अपने-अपने क्षेत्रों में) में आते हैं. भारत के विद्वानों को मांगा जा रहा है स्वीकार किया जा रहा है राजनीति में भी.
५. भारत की सॉफ्टवेयर कम्प टाटा कन्टलसी ने अमरीका में जगह बना ली है. सिलीकौन घाटी २५ प्रतिशत भारतीय बहुत पहले हो गयी होती यदि हमारी सरकार ने हमने ध्यान दिया होता कि सॉफ्टवेयर भारत की अन्य भाषाओं में ९० करोड़ देश के भारतीय तक पहुंचाना है. हमे समझना  होगा सॉफ्टवेयर की कुंजी हार्डवेयर है. विश्व में अभी हमारा केवल २ प्रतिशत हिस्सा है. हमारी व्यवस्था में केवल १० प्रतिशत कम्प्यूटर है जब कि विकसित देशों में ५० प्रतिशत कम्प्यूटर हैं.1

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