शनिवार, 29 जनवरी 2011

सफर गणतंत्र का

सफर गणतंत्र का
विशेष संवाददाता

 इतिहास के नजरिये से देखें तो गणतन्त्र का इतिहास करीब अस्सी वर्ष पुराना है. गणतन्त्र के बीज तो ३१ दिसम्बर सन १९२९की मध्यरात्रिमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन सत्र जिसकी अध्यक्षता पं.जवाहर लाल नेहरू ने की थी,में ही पड़ गये थे. इस अधिवेशन सत्र में ही सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि २६ जनवरी १९३० को पूर्ण स्वराज और स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाया जायगा.

संवैधानिक तरीके से गणतंत्र दिवस का सफर देश में सबसे पहले आज से बांसठ वर्ष पहले बहुत धूम-धाम से शुरू हुआ था.  जब महमहिम डॉ.राजेन्द्र प्रसाद ने २६ जनवरी को देश का संविधान बनने के बाद देश की राजधानी दिल्ली के गवर्नमेन्ट हाउस में भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली और यहां से पांच मील दूर इर्विन स्टेडियम में अपने काफिले के साथ जा कर २१ तोपों की सलामी के साथ राष्ट्रीय ध्वज फहरा कर देश के गणतन्त्र होने की घोषणा की.इसी दिन से हम २६ जनवरी को देश के गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाते हैं.
इतिहास के नजरिये से देखें तो गणतन्त्र का इतिहास करीब अस्सी वर्ष पुराना है. गणतन्त्र के बीज तो ३१ दिसम्बर सन १९२९की मध्यरात्रिमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन सत्र जिसकी अध्यक्षता पं.जवाहर लाल नेहरू ने की थी,में ही पड़ गये थे. इस अधिवेशन सत्र में ही सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि २६ जनवरी १९३० को पूर्ण स्वराज और स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाया जायगा. लेकिन उन दिनों देश के भीतर चल रहे हालात की वजह से ऐसा नहीं हो पाया. इसके बाद अंग्रेजों के भारत छोडऩे के पहले अंग्रजों ने भारतीय नेतृत्व से अपना खुद का संविधान बनाने की पेशकश रखी और और भारतीय नेतृत्व और अंग्रेजों की संयुक्त कमेटी के बीच हुए आपसी विचार विमर्श के बाद ९ दिसम्बर १९४६ को भारतीय संविधान की पहली बैठक की गयी. इस बैठक का मकसद भारत को एक संविधान प्रदान करना था जो लम्बी अवधि तक देश के सुसंचालन का प्रायोजन पूरा करेगा.इसके बाद संविधान निर्माण के लिये संविधान के विभिन्न पक्षों पर गहराई से अनुसंधान करने के लिये कई समितियों की नियुक्ति की गयी जिन्होंने संविधान से जुड़ी हर एक बात और एक-एक बारीकियों के बारे में अपनी-अपनी सिफारिशें दीं.
इन सिफारिशों पर चर्चा करने के बाद इन सिफारिशों और सुझावों को संविधान में शामिल किया गया और सन १९४६ में गठित हुई इस कमेटी के तीन वर्ष बाद २६ नवम्बर सन १९४९ को तैयार हुए इस नये भारत के संविधान को आधिकारिक रूप से अपनाने के बाद संविधान को पूरी तरह से २६ जनवरी १९५० को देश में पूरी तरह से लागू कर दिया गया.1

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