सोमवार, 3 जनवरी 2011

प्रथमपुरुष
जनसंख्या गणना की जातीय उठापटक
हमारे देश में जन संख्या गणना में जाति पूंछे जाने पर ही मतभेद पैदा हो गए हमारे समाज में जब जाति इतनी महत्वपूर्ण है तो उसे जानने या बताने में इतनी हिचक या आपत्ति क्यों. इस प्रकार तो आप पुरूष है या स्त्री पूछने पर भी आपत्ति हो सकती है लड़कियों और स्त्रियों की उम्र पूछने पर पति का नाम बच्चों की संख्या पूछने पर भी क्या-क्या छिपायेंगें. कुछ भी छिपाना हीनता की भावना आत्म सम्मान के अभाव का सूचक है. ब्राजील से कुछ सीखिये उनकी जन संख्या गणना हो रही है. २,२५००० कार्य करना विश्व के ५वें सबसे बड़े देश में घर-घर जाकर विभिन्न प्रश्न पूंछ रहे हैं उनकी कार्य प्रणाली डिजिटल है ५ करोड़ ८० लाख घरों में यह कार्य ३ माह में पूरा कर लेंगे. नक्शों एवं जन संख्या गणना के विवरण में क्षेत्र के परर्यावरण जिसमें गलियों में प्रकाश व्यवस्था, स्कूलों एवं इलाज करने के स्थानों की जानकारी भी होती है. इससे प्रशासन को प्रत्येक क्षेत्र में पायी जाने वाली सुविधाओं काी जानकारी हो जाती है. उनके यहां आई.डी.डी. कार्ड १० वर्ष पहले बट चुके हैं. जिसमें उनका नम्बर टैक्स का नम्बर बोट करने का नम्बर भी अंकित होता है. उनका नाम उनके, उनके पिता का नाम, उनका लिंग, उनके पैदा होने की जगह, उनकी फोटो उनकी फिन्गर प्रिंट उनके डिजिटल हस्ताक्षर उनका डिजिटल न: एवं आई.डी. देने की तारीख अंकित रहती है. इस जन गणना में प्रत्येक की आय, जाति, धर्म, भाषा, पर्चावरण, कार्य स्थल तक पहुचने में कितना समय लगता है शामिल किया गया है. देश में बारह से आकर बसने वालों परिवारों के नये रूप (एक लिंग के पति-पत्नी एवं एकल माता पिता) का भी विवरण लिया जायेगा. उनका कहना है इससे उन्हें अपनी नीतियां बनाने भी सहायता मिलेगी. अधिक उम्र के व्यक्तियों बढ़ते हुए एवं नये रूप के परिवारों को अधिक सुविधा देने मेें उनको यह भी जानकारी मिलेगी कि उनकी नीतियां अर्थिक एवं भौतिक विकास कर रही हैं और वे लक्ष्य प्राप्त कर रहे हैं या नहीं. सामाजिक प्रगति के कार्य में बहुत प्रभाव पड़ता है. १९९८ में गरीब परिवारों की संख्या २ करोड़ ४३ लाख से घट कर २००८ में ८९ लाख आ गयी. प्रत्येक व्यक्ति के व्यवसाय की सूचना से अच्छी नीतियाँ बनायी जा रही है. उनमें विषमता या दुहरापन नहीं आ पाता है. जिन क्षेत्रों में बिजली पानी सड़क का अभाव है उन्हें प्राथमिकता मिलती है जन संख्या की तमाम सूचानाओं का विकेन्द्री करण है उतएव जालिकायें अपनी नीतियाँ सार्वजनिक हित में बना रहे है. गरीब से गरीब आदमी सूचना देना चाहता है क्योंकि इससे उन्हें सुविधायें मिलेगी.

गरीबी रेखा में भारत और नीचे आया

देश के ८ राज्यों में ४२.१ करोड़ इस रेखा के नीचे हैं स्वास्थ्य शिक्षा एवं आय की उपलिब्धता न होना इन आकड़ों में जुड़ी है दिल्ली में १४' बिहार में ८१' अन्य राज में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश राजस्थान है. भारत में ३०' का अभाव है ४१' शिक्षा में ३१' स्वास्थ्य में अन्य विकसित देशों के मुकाबले (असमानता) महिलाओं को बराबरी का दर्जा न होने मुख्य है १३८ देशों में भारत का १२२ वां नम्बर है संसद में केवल ९' २७' माध्यमिक या उच्च शिक्षा में पुरूष ५०'. गरीबी में स्वास्थ्य, शिक्षा एवं आय के साथ महिलाओं एवं पुरूषों के विकास में असमानता भी आंकी गई. 1

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