शनिवार, 15 जनवरी 2011

प्रथम पुरुष

भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षाओं की अपारर्शिता 

 भारतीय प्रशासनिक सेवा (आई ए. एस) की परीक्षा की पारदर्शिता एवं निष्पक्षता पर उठते सवाल. आर.टी.आई में पूछे गये प्रश्नों के उत्तर विरोध बास एवं छिपाने का संकेत करते हैं.
१. झूठे रोल नम्बरों की संख्या निरंतर बढ़ रही है वर्ष २००३ में ९२ थी २०१० में ४२४५ पहुंच गयी ४ लाख परीक्षार्थियों में अर्थात १.०६'
२. यू.पी.एस.सी कहती है कि कापियों की पुन: अवलोकन मूलांकन या जांच नहीं हो सकती है क्योंकि उन्हे नष्ट कर दिया जाता है. एक बार यह भी कहा कि पुन: मूल्यांकन किया गया परन्तु कोई गलती नहीं पायी गयी. कट आफ मार्क अर्थात निम्र अंको को प्राप्त करने की निर्धारित प्रक्रिया नहीं बतायी जाती, उनकी संख्या भी नहीं बताते , सही उत्तरों को सूची नहीं देते. अतएव मनमाने ढंग से उत्तीर्ण अभ्यार्थियों की सूची बनायी जाती है.
३.एक परीक्षाथी को २००८ को उत्तर दिया गया कि उसकी कापियों को दो बार पुन: मूल्यांकन किया गया कोई गलती नहीं पायी गई. उसी वर्ष दूसरे को उत्तर दिया गया कि सभी कापियां नष्ट कर दी गई है अत: पुन: मूल्यांकन सम्भव नहीं है अतएव ८० दिन बाद पुन: मूल्यांकन कैसे हुआ. एक परीक्षार्थी की कापी ही उपलब्ध नहीं हो सकी खो गयी. परीक्षार्थी द्वारा हस्ताक्षरित रजिस्टर की कापी मांगने पर उत्तर मिला कि उसे ६ माह में नष्ट कर देते हैं दूसरे से कहा गया २ वर्ष में नष्ट कर देते है.
४. रोल नं कम्पयूटर द्वारा बनाये जाते हैं अतएव २००४ से ६०००० रोल न. में से १२६४ साक्षात्कार के लिये चुने गये परन्तु केवल ११५४ पहुंचे.
५.यू.पी.एस.सी.परीक्षार्थियों द्वारा प्राप्त किये अंको को गुप्त रखती है इन अंको को देने की जानकारी गुप्त रखती है इन अंको को देने की प्रणाली बताने को भी गुप्त रखती है तमाम अस्थिर या परिर्वतन शील कारण बताती है.
६. ५०००० विद्यार्थियों की संख्या टी.एस.ए के जबाब मांग रही है. राष्ट्रपति ने भी प्रक्रिया में सुधार लाने को कहा. यू.पी.एस.सी नया पाठयक्रम ला रहा है क्या होगा तभी उसकी निष्पक्षता और पारदर्षिता पर विश्वास होगा.
मध्यम वर्ग के आधार शिला की कहानी-
मध्यम हमेशा सबसे महत्वपूर्ण रहा है गौतम बुद्घ ने भी मध्यम (बीच) पथ अपनाने को कहा राम भी मध्य में खड़े है अगल-बगल में सीता और लक्ष्मण मंच पर भी सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति मध्य में होता है,
स्वर्णपदक विजेता मध्य में खड़ा होता है अगल-बगल रजत और कांस्य विजेता जीतने वाले देश का झंडा भी बीच में सबसे ऊंचाहोता है पहाड़ की सबसे ऊंची चोटी भी मध्य में होती है पेड़ों में भी सबसे ऊंची डाली मध्य में होती है. हाथ में बीच की अंगुली सबसे लम्बी होती है. चारो ओर मध्य का बोल-बाला है चक्र का केन्द्र भी मध्य में होता है.
मध्य वर्ग की उत्पत्ति अच्छे व्यवहार से हुई इसके पहले उच्च वर्ग राजा निम्र वर्ग या साधारण वर्ग को हमेशा तिरस्कार या जूते की ठोकर पर रखता था. मध्यम वर्ग इस तसवीर को बदल दिया आपकी माल हालत कुछ भी हो आप मध्यम वर्ग की श्रेणी में आने लगे. मुख्य पैमाना था आप दूसरों से कैसे व्यवहार करते है.1

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