शनिवार, 22 जनवरी 2011

गैस ऐजेन्सी और कम्पनी ...मौसेरे भाई

गैस ऐजेन्सी और कम्पनी ...मौसेरे भाई
                                                           विशेष संवाददाता

ये लाखों लाख उपभोक्ता वही हैं जिनकी वजह से इन भ्रष्ट एजेंसियों के मालिकानों और कर्मचारियों के घरों के चूल्हे जल रहे हैं और दो वक्त की रोटी नसीब  हो रही है. उपभोक्ता ही इन तेल कम्पनियों और गैस एजेंसियों को अन्नदाता हैं.
शहर में इंडियन आयल, भारत गैस और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम की छियालिस गैस एजेंसियों की रहनुमाई करने वाली यूनियन एलपीजी गैस वितरक संघ लम्बे समय से गैस एजेंसियों के लिये तो संघर्ष कर रही है. लेकिन वितरक संघ के लिये इन छियालिस एजेंसियों का हर नैतिक अनैतिक लाभ के आगे शहर के लाखों उपभोक्ताओं की दुख तकलीफें कोई मायने नहीं रखती हैं. अपने घरों में चूल्हा जलाने के लिये तेल कम्पनी से लेकर गैस एजेंसियों के चक्कर लगा रहे हैं उनकी मनमानी सह रहे हैं. ये लाखों लाख उपभोक्ता वही हैं जिनकी वजह से इन भ्रष्ट एजेंसियों के मालिकानों और कर्मचारियों के घरों के चूल्हे जल रहे हैं और दो वक्त की रोटी नसीब है. बल्कि कहा जा सकता है कि उपभोक्ता ही इन तेल कम्पनियों और गैस एजेंसियों को अन्नदाता हैं और अन्नदाता का इस तरह अपमान न तो होना चाहिये और न ही बर्दाश्त करना चाहिये. बेहयाई की बात अलग है शहर में गैस का भीषण  संकट है. यह बात गैस वितरक संघ अव्वल तो मानता ही नहीं और अगर काफी नानुकुर के बाद मानता भी है तो बस इतना कि शहर में गैस की कोई किल्लत नहीं है जो थोड़ी सी दिक्कत थी भी तो वो तेल कम्पनियों से बातचीत करके पूरी तरह सुलझा ली गयी है. हर उपभोक्ता को आवश्यकता के हिसाब से गैस मिल रही है. वितरक संघ के पदाधिकारी चाहे वो संघ के अध्यक्ष अनिल मित्तल हों या महामंत्री भारतीश मिश्र या अन्य पदाधिकारी सब यही दावे कह रहे हैं
कि गैस की कोई किल्लत नहीं है और यदि किसी उपभोक्ता को ऐसी कोई दिक्कत है भी तो वो उनसे सम्पर्क कर सकता है. वितरक संघ के पदाधिकारी चाहे जो भी दावे करें लेकिन असलियत यह है कि ये तमाम दावे सिर्फ झूठ का पुलिन्दा मात्र हैं. और हों भी क्यों न सीधी सी बात है कि वितरक संघ जमात है गैस एजेंसियों के नुमाइन्दों की और उपभोक्ता को शिकायत भी गैस एजेन्सी से ही है. ऐसे में कोई अपने ही खिलाफ की गई शिकायत का समाधान कैसे कर सकता है.
तो फिर ऐसे में सबसे बढिय़ा तरीका है कि उपभोक्ता से दूर ही रहो तो अच्छा. संघ के पदाधिकारी करते भी यही है. एल.पी.जी. वितरक संघ बना है गैस एजेंसियों के हितों की रक्षा के लिये और वो इन हितों की रक्षा कर भी रहा है. गैस सिलेंडरों की काला बाजारी, कनेक्शन के नाम पर जबरन चूल्हा व अन्य उत्पाद बेचने और गैस की घटतौली जैसे ही तमाम अनैतिक काम शहर की हर गैस एजेंसी में हो रहे हैं. गैस आने के २० से २५ दिन बाद बुकिंग और बुकिंग के ७-१० दिन बाद गैस की डिलीवरी करने, गोदाम से सिलेंडर उठाने पर भी होम डिलीवरी के चार्ज लेने के मनमाने नियम इन सारी की सारी एजेंसियों में लागू हैं. जो कि तेल कम्पनियों के प्रावधानों के मुताबिक केवल दण्डनीय तो हैं ही ईमानदारी से जांच के बाद दोषी पाये जाने पर एजेंसियों को स्थायी तौर पर रद्द तक किया जा सकता है.
लेकिन गैस एजेंसियों के खिलाफ रद्दीकरण जैसी कोई कार्यवाही आज तक नहीं हुयी है वजह है इस तरह की कार्यवाही में वितरक संघ एक बहुत बड़ी आड़ है जिसकी ओट में यह सब काम हो रहा है. सिलेंडर लेना तो दूर फोन पर किसी एजेंसी में गैस बुक कराना भी एक बहुत बड़ा काम है. वजह है इन तमाम एजेंसियों के फोन ही अक्सर नहीं उठाये जाते हैं. और एजेंसियों की तो बात ही दूर है जब स्वयं गैस वितरक संघ के अध्यक्ष की एजेंसी का ही यह हाल है. इस पूरे मसले पर वितरक संघ के महामंत्री भारतीश मिश्रा का कहना है कि थोड़ा बहुत अनियमितताएं तो गैस एजेंसियों में है लेकिन फिर भी उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं का ख्याल रखा जाता है. महामंत्री कुछ भी कहें लेकिन उपभोक्ताओं की अम्बारी परेशानियों को देख कर तो ऐसा नहीं लगता कि वितरक संघ को उपभोक्ताओं की जरा भी फिक्र है. क्योंकि अभी भी पूरे शहर के उपभोक्ता एक-एक सिलेंडर के लिये परेशान ही है. 1

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