शनिवार, 22 जनवरी 2011

बोल मेरी जनता कितनी गैस
मुख्य संवाददाता

गैस कम्पनियों के गिनती के नुमाइन्दे कह रहे हैं कि गैस का किसी भी तरह का संकट नहीं है.एल पी जी वितरक संघ कर रहा है कि गैस की बहुत मामूली सी दिक्कत थी तो जरूर लेकिन अब गैस आराम से मिल रही है छ: लाख से ज्यादा गैस उपभोक्ताओं को गैस सूंघने तक को नहीं मिल रही है खाना पकाने के लिए मिलने की बात ही दूर की है. तो क्या शहर के सारे के सारे उपभोक्ता एक साथ मिलकर झूठ बोल रहे हैं वे भी एक सिलेण्डर के लिए जिसको पाना उसका संवैधानिक अधिकार है. नहीं ऐसा कतई नहीं है.

पूरा शहर चिल्ला रहा है कि गैस की बहुत किल्लत है, खाना पकाने के लिए गैस नहीं मिल रही है, एक-एक सिलेण्डर के लिए घण्टों और कभी-कभी तो कई दिन लाइन लगानी पड़ रही है लोगों में आक्रोश है. हर कोई किसी  भी तरह किसी भी कीमत पर गैस सिलेण्डर पाना चाहता है. पर गैस कम्पनियों के गिनती के नुमाइन्दे कह रहे हैं कि गैस का किसी भी तरह का संकट नहीं है. सप्लाई पहले से ज्यादा अच्छी है और डिमाण्ड पहले से कम. एल पी जी वितरक संघ कर रहा है कि गैस की बहुत मामूली सी दिक्कत थी तो जरूर लेकिन अब गैस आराम से मिल रही है बावजूद इसके ये शहर के लगभग सवा छ: लाख से ज्यादा गैस उपभोक्ताओं को गैस सूंघने तक को नहीं मिल रही है खाना पकाने के लिए मिलने की बात ही दूर की है. तो क्या शहर के सारे के सारे उपभोक्ता एक साथ मिलकर झूठ बोल रहे हैं वे भी एक सिलेण्डर के लिए जिसको पाना उसका संवैधानिक अधिकार है. नहीं ऐसा कतई नहीं है. न तो रसोई गैस की किल्लत कोई मनगढ़न्त कहानी है और न ही ये लाखों लाख, लोग झूठ बोल रहे हैं अगर कोई झूठा है तो वो हैं गैस कम्पनियां और उनके नुमाइंदे जो कि अपना सारा ध्यान और ऊर्जा गैस की समस्या को निपटाने की बजाय जनता से झूठ बोलने में लगा रहे हैं. शहर के करीब सवा छ: लाख से अधिक उपभोक्ताओं में से सबसे ज्यादा करीब चार लाख उपभोक्ता इंडियन आयल कम्पनी के ही हैं और बाकी के उपभोक्ता हिन्दुस्तान और भारत गैस के हैं. शहर में गैस की सबसे ज्यादा दिक्कत भी इंडियन आयल कम्पनी के उपभोक्ताओं को ही है. लेकिन ताज्जुब यह कि कम्पनी के आला अफसरान फील्ड आफीसर से लेकर एलपीजी उपमहाप्रबन्धक तक सब एक साथ यही बेसुरा राग अलाप रहे हैं कि शहर में गैस की कोई किल्लत ही नहीं है और अगर है भी तो उन्हें इस बात की कोई जानकारी या सूचना नहीं है. गैस एजेंसियां जितना कहती हैं उनको उतने सिलेंडर बगैर किसी रुकावट के दिये जा रहे हैं. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि शहर के आम लोग झूठे हैं या फिर गैस किल्लत को लेकर उसकी चीख पुकार गैस कम्पनियों के ऊंचा सुनने वाले नुमाइन्दों तक नहीं पहुंच पा रही है. वैसे आम लोगों की इस परेशानी और तकलीफ को गैस कम्पनियों तक पहुंचाने की नैतिक जिम्मेदारी गैस एजेंसियों की भी है. तो क्या गैस एजेंसियों ने भी इस जनपीड़ा को गैस कम्पनियों तक नहीं पहुंचाया. ये वो सवाल हैं जिनका जवाब न तो गलत सही
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तरीकों से लाखों का मुनाफा कमा रही गैस एजेंसियों के पास है न ही तेल कम्पनियों के पास. क्योंकि दरअसल दोनों एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं. पेट्रोलियम मंत्रालय से लेकर गैस एजेंसियों तक किसी को भी गैस की किल्लत और इसकी वजह से जनता को होने वाली परेशानियों से कोई सरोकार नहीं है.
अगर मुद्दा अपने मुनाफे का या अपने वेतन और सुविधाओं की बढ़ोत्तरी का होता तो अब तक तेल कम्पनियों के कर्मचारियों से लेकर गैस एजेंसियों के मालिकान तक हड़ताल व विरोध से लेकर हर वो तरीका अख्तियार कर लेते जिनसे उनकी स्वार्थ सिद्धि हो सकती लेकिन यह मामला तो जनता का है बेचारी जनता का तो आखिर कोई बेवजह सिरदर्द क्यों ले.
इंडियन आयल के फील्ड आफीसर जयपाल सिंह नेगी और मानवेन्द्र भटनागर की जिम्मेदारी शहर के उपभोक्ताओं की समस्याओं के निराकरण करने की है. अब तक हजारों लोग उनको फोन करके इस समस्या से अवगत करा चुके हैं. समस्याओं को सुनने और उनको सुलझाने की बजाय इन अधिकारियों का कहना है कि उनकी जिम्मेदारी उपभोक्ताओं की गैस सम्बन्धी व्यक्तिगत समस्याओं के निराकरण की है न कि गैस की इस जनसमस्या को निपाटने की. ये अधिकारी शायद यह भूल गये कि बूंद-बूंद से सागर और व्यक्ति-व्यक्ति से जनता बनती है. ऐसे में जब कोई जनसमस्या है तो वो व्यक्तिगत तो वैसे भी हो गयी. इसके अलावा गैस किल्लत के इस दौर में तमाम गैस एजेन्सियों के उपभोक्ताओं की व्यक्तिगत समस्याओं में से कितनी समस्याओं का निराकरण में हो पाया और गैस एजेंसियों के खिलाफ क्या कार्यवाही हो पायी इसका जवाब इन दोनों फील्ड आफीसरों सहित ग्राहक सेवा सम्भागीय अधिकारी राकेश सरोज के पास भी नहीं है. जबकि वास्तविकता यह है कि उपभोक्ताओं की अब तक कराई गयी शिकायतों पर पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता से कार्यवाही हुई होती तो शहर की छियालिस की छियालिस गैस एजेंसियों में ही ताले लग गये होते. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं. गैस एजेंसियां सिलेंडर उपभोक्ताओं को देने की बजाय ब्लैक में बेच कर कमाई में जुटी हैं. और गैस कम्पनियों के अधिकारी कान में तेल डालकर सो रहे हैं. अब ऐसे में जनता अगर कुछ ज्यादा ही उग्र हो जाये तो उसकी खातिरदारी के लिये पुलिस का डण्डा तो तैयार है ही.1



इनसे करें शिकायत
इंडियन आयल

फील्ड आफीसर, कानपुर
१. जयपाल सिंह नेगी- ९४१५०१९१३७
२. मानवेन्द्र भटनागर- ९४१५०१९१५८
ग्राहक सेवा कक्ष सम्भागीय कार्यालय
०५२२-२३२३०६५

राकेश सरोज- ९४१५०१९१८०
इंडियन आयल भवन, कपूरथला काम्पलेक्स अलीगंज लखनऊ- २२६०२४

सम्भागीय कार्यालय- एन.के. श्रीवास्तव (प्रबन्धक एल.पी.जी. सेल्स.)फोन ०५२२-२३३४०९४, २३७७४९६
पता उपरोक्त

नरेश गेरा (वरिष्ठ सम्भागीय प्रबन्धक)
फोन- ०५२२-२३३४०९४, २३७७४९६,
पता उपरोक्त

मुख्य प्रबन्धक (एलपीजी सेल्स)
यादवेन्द्र श्रीवास्तव
९४१५११५११६, ०५२२-२३०५७३७
पता- उत्तर प्रदेश राज्य कार्यालय-१, टी.सी.- ३९/वी, विभूति खण्ड, गोमतीनगर, लखनऊ- २२६०१०

उप महाप्रबन्धक एलपीजी) बी.पी. देवनाथ
फोन- ०५२२-२३०५७०४

भारत पेट्रोलियम
 एल.पी.जी. विजनेस यूनिट
भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड
प्लाट नम्बर ए-५ एण्ड ए-६ सेक्टर-१ , नोएडा,
फोन- ०१२०-२४७४७०२/०३/३८/०१

रीजनल एल.पी.जी. मैनेजर
फोन- ०१२०-२४७४७०२/०३/३८/०१

लखनऊ एल.पी.जी. टेरिटरी, बी.पी.सी.एल. लखनऊ
टेरीटरी आफिस एण्ड पाटलिंग प्लांट कुर्सी रोड गुडम्बा, लखनऊ
फोन- ०५२२-२३६१०४३

गैस वितरक संघ
अनिल मित्तल(अध्यक्ष)
मो.- ९३३५०८६२४०, ९४१५०५२६८८
भारतीश मिश्रा (महामंत्री)
मो.- ९४१५०४३४९१

एच.पी. गैस कस्टमर सर्विस सेल
एच.पी. गैस रीजनल आफिस, साइट नं.-२, रोड नं.- १३, यू.पी.एस.आई.डी.सी. इंडस्ट्रियल एरिया, पोस्ट बाक्स नं.- १८, लखनऊ, उत्तर प्रदेश- २०९८०१
फोन- ०५१५- २८२९१२३

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