शनिवार, 29 जनवरी 2011

खरीबात

विस्फोटक नारी देह की  खुशबू
प्रमोद तिवारी
यह बात तमाम अधिकारों और कानूनों से लैस जागी हुयी किसी भी स्त्री को समझनी होगी. किसी भी कानून में नहीं लिखा है कि शेर मानव को खाने का अधिकार रखता है. फिर भी मौका लगते शेर मानव भक्षण करता है. शेर को पालतू कैसे बनाया जाये हमने जब यह जान लिया तो उसे चिडिय़ाघर में टिकट लगाकर नुमाइश की चीज बना दी. चाहे स्त्री हो या पुरुष. नये सामाजिक अर्थों में उन्हें अब अपने देह रिश्तों को भी नये ढंग से परिभाषित करना होगा.
हाल के दिनों के अखबारों को पढऩे के बाद आप भी सोच रहे होंगे कि 'यौनाचार ने तो सारी हदें पार कर दी हैं. विशेष रूप से नेताओं ने तो गजब ही ढा रखा है बसपा के विधायकों, मंत्रियों की तो एक के बाद एक यौन अपराधों की कड़ी बनती जा रही है. बांदा का शीलू कांड  क्या खुला इटावा के विधायक शिव प्रसाद यादव भी एक बलात्कार के मुकदमें में अरोपी बनाये गये. सोनम  उर्फ प्रीति बलात्कार से चर्चित हो रहे इस यौन अपराध की कहानी अभी ढंग से सामने आ भी नहीं पाई कि एक और गैंग रेप के मामले में बसपा सरकार के एक कबीना मंत्री का नाम उछलकर सामने आ गया. यहां भी शीलू कांड की तरह ही बलात्कार की शिकार अगवा छात्रा मंत्री जी के घर से बरामद हुई. रोज ही तरह-तरह के यौना अपराध  सामने आ रहे हैं शाहगंज जौनपुर में एक प्रधानाचार्य ने आत्मदाह कर लिया कारण की स्कूल के मालिक महोदय वर्षों से प्रधानाचार्य के भोग रहे थे और जब  जी भर गया तो उसे निकाल बाहर किया. प्रधानाचार्य को  लग रहा  था कि वह 'अय्याश उससे शादी कर लेगा. इसी जनपद जौनपुर में एक छात्रा ने इसलिए जान देने की कोशिश की  कि उसके चचेरे भाई ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर उसके साथ बलात्कार किया. कुछ ऐसे मामले भी सामने आये है जिसमें यौनारोधी चिल्ला-चिल्लाकर कह रहा है कि उसका 'डी एन ए कराओ उसकी  मेडिकल जांच कराओ वह 'यौनाचार की बात तो  छोडि़ए यौन व्यवहार के भी  काबिल नहीं बचा है. कानपुर में  एक शिक्षक को बलात्कारी बता कर भी पहले जेल में डाल दिया गया बाद में उसकी धाराएं बदल दी  गई. किस्सा बलात्कार के बजाय निकला फीस वसूली का. एक चोरी के मामले में फंसी लड़की ने आरोप लगाया कि उनकी  महिला मालिक  उससे देह व्यापार कराना चाह रही थी. उसके इंकार के कारण चोरी में फंसा दिया जबकि चोरी में फंसी लड़की पहले से ही अपने खुले व्यवहार के कारण इलाके में मशहूर है.  महिला मालिक अब खुद जान देने की धमकी दे रही है और भी तमाम घटनाएं हैं जिन्हें लिखने बैठें तो कागज कम पड़ जाये... आज की लिखूं, कल की लिखूं, कहो तो महाभारत काल की लिखूं या त्रेतायुग की लिखूं... हर तरह का यौन अत्याचार हर युग में रहा है. कुछ भी नया नहीं है....हां, नया है तो अब उसका उदघाटित होना नया है. 'सूर्पणखा को आप उस 'आवारा कामातुर की तरह ही मानें जो इच्छापूर्ति न होने पर ऐसा नाटक रचती है कि 'रावण जैसा पंडित सीता का अपहरण करता है... बालि सुग्रीव की पत्नी को जबरिया अपनी 'रानी बनाये था. इन्द्र ने गौतम श्रृषि की पत्नी अहिल्या के साथ छल किया... यह छल बलात्कार ही तो था... द्वापर में क्या कुछ नहीं हुआ... बूढ़ा राजा शान्तनु 'सरस्वती को अपनी 'भामाग्नि का शिकार बनाता है.... कुंती के साथ 'सूरज का रमण क्या है... यह भी 'यौनाचार की प्रतीक कथा है... कहने का आशय यह है कि स्त्री हर काल में सहमति, असहमति, बल, छल, धन और प्रभाव से पुरुष के रमण का साधन रहा है. आज भी वही स्थिति है... लेकिन बदलाव के स्तर पर पहले 'समरथ को नहि दोष गोसाईं जैसा फार्मूला स्थापित कर आज इस स्थापित फार्मूले पर भारत का लोकतंत्र और गुणतंत्र जब-कब अपने पंजे गड़ा देता है. तमाम विधायकों, प्रभावशाली लोगों और अपराधियों का 'सेक्स स्केंडल में फंसना आखिर यही तो दर्शाता है कि राजा-रजवाड़ों, नवाबों-रियासतों के जमाने गये. आज का भारत औरत को केवल 'भोग्या का दर्जा नहीं देता यौन व्यवहार में उसकी सहमति परम आवश्यक है. आज तो पति-पत्नी के बीच शारीरिक सम्बन्धों में 'रजामंदी का दर्जा इस  कदर ऊंचा है कि बेमन से पति के साथ लेटी स्त्री चाहे तो अपने पति परमेश्वर को 'बलात्कारी बना सकती है. चाहे तो भारतीय दण्ड संहिता की धारा ३७७ के तहत सजा भी दिला सकती है. सामाजिक और न्यायिक  दृष्टि से स्त्री आज की तारीफ में जितनी सबला है उतनी कभी नहीं रही. रोज-रोज यौन उत्पीडऩ के मामलों का सामने आना, मीडिया सत्ता और पुलिस का चाहकर भी उन्हें न दबा पाना एक बड़ा सामाजिक करतब है. आज 'सीता को 'अग्निपरीक्षा देने की जरूरत नहीं. वह राम से पूछ सकती है कि केवल मैं ही अपनी 'पवित्रता का प्रमाण क्यों दूं... तुम पर भी कोई पर स्त्रीगमन का आरोप लगा सकता है. तुम्हें भी गुजरना होगा आग की लपटों से...? पहले केवल कहने की बात थी कि स्त्री और पुरुष का दर्जा समान है. आज स्त्री बराबरी के दर्जे पर आ रही है. वह अपने ऊपर हुये बलात यौन व्यवहार का प्रतिकार कर रही है. प्रतिकार में उसे अपनी तौहीन नहीं बल्कि अधिकारों के प्रति जागरूकता दिखायी दे रही है. इसलिये  वह चुप नहीं बैठती है. अगर कई  यह सोच रहा है कि यौनाचार बढ़ा है तो शायद यह आंकलन उचित नहीं है... हां, यह जरूर है कि स्त्री देह पहले की तुलना में आज ज्यादा 'विस्फोटक है. उसके धमाके समाज के कानों के परदे हिलाकर रख रहे हैं. वह आज घर की दीवारों में कैद नहीं है. वह निकली है देहरी के बाहर. उसके हाथ में मोबाइल है. वह दुनिया से हर 'व्यक्ति से सीधे  बात की हिम्मत रखती है. उसका मोबाइल नम्बर हवा में है. स्त्री और पुरुष का जितना आसान और साधारण मिलना और सम्पर्क आज सम्भव है किसी काल में नहीं रहा. यहां तक कि आदिम काल में भी नहीं. प्राकृतिक रूप से कोमल देह दृष्टि और अप्रतिम सृष्टिजन्मा चर्मोत्कर्षी आनन्द की दायिनी स्त्री जब सघनतम पुरुष सम्पर्कमेंरहेगी तो पुरुष की ओर से स्त्री देह पर अतिक्रमण की सम्भावना ज्यादा होगी ही. यह बात तमाम अधिकारों और कानूनों से लैस जागी हुयी किसी भी स्त्री को समझनी होगी. किसी भी कानून में नहीं लिखा है कि शेर मानव को खाने का अधिकार रखता है. फिर भी मौका लगते शेर मानव भक्षण करता है. शेर को पालतू कैसे बनाया जाये हमने जब यह जान लिया तो उसे चिडिय़ाघर में टिकट लगाकर नुमाइश की चीज बना दी. चाहे स्त्री हो या पुरुष. नये सामाजिक अर्थों में उन्हें अब अपने देह रिश्तों को भी नये ढंग से परिभाषित करना होगा. स्त्री की देह कोई बम नहीं है जो पुरुषों के चीथड़े उड़ा दे और  कोई महज  खुशबू देने वाला फूल है कि उसे जो चाहे जैसे मसल दे. रही बात यौन सम्बन्धों की तो जहां स्त्री और पुरुष की सहज उपस्थिति रहेगी... इस तरह के सम्बन्ध बनते-बिगड़ते रहेंगे. पुरुष अगर बल-छल और धन से स्त्री को भोगेगा तो स्त्री भी अपने 'त्रियाचरित्र से इसी देह से उसे ठगेगी... जैसा कि आज हो रहा है.1

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